एकांत का आलिंगन
मेरे प्रिय एकांत को
चीरते---
फेरी वाले के
कर्कश स्वर
घड़घड़ाती मशीनें
हार्न बजाते, भड़भड़ा कर गुजरते वाहन
सिहराती नरम हवा को
बांधते हो जैसे
किसी कटीली झाड़ी से---
उठकर दूसरे कमरे में चली जाती हूं
ये सोचकर शायद-
कानों में धीमा पड़ता उनका स्वर
मेरे प्रिय एकांत को
