किरण अग्रवाल

किरण अग्रवाल की कविता

एक देश था भारत धर्म निरपेक्ष


वह अजब सी दुनिया थी
पेड़ों पर लटक रही थीं रोटियां
गोल-गोल, फूली-फूली रोटियां
लेकिन उन तक पहुंचने का एक ही मार्ग था आमजन के लिए
बेहद ऊबड़-खाबड़, कंटकों से भरा हुआ
जो अक्सर भटककर किसी न किसी, नरक में जा पहुंचता था
प्रायः लोग हंसते-गाते, रोते-धोते, दौड़ते-भागते
पहुंच ही जाते थे मंजिल तक, लेकिन कुछ बीच में ही दम....

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