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नए रचनाकारों की उपेक्षा नहीं करें

‘पाखी’ का लंबे अरसे से एक नियमित पाठक होने की वजह से आज चिट्ठी लिखने से अपने आप को रोक नहीं सका, सो इसी बहाने मन हल्का करने हेतु रचना एवं रचनाकारों पर सरसरी निगाहें दौड़ाई। यह कुछ सृजन के उत्स का कारण भी है। लेकिन मीडिया के इस नवाचारी युग में लिखने का कारण बना इस पत्रिका की साहित्यिक सांस्कृतिक खुशबू से चतुर्दिक सुवासित होना। मैं साहित....

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