झड़ने लगे नीम के पत्ते/बढ़ने लगी उदासी मन की।
अबरार कांड: जिंदगी की सूरत डरावनी, यहां भी वहां भी।
बहता रहा समय पद्दो नदी सा। कई नदियों के बहते सौंदर्य वाले देश ढाका में आए हमें छह महीने होने को आए थे कि एक दोपहर हम कोलकाता से आए अपने बड़े भाई के साथ धान मंडी से गुजर रहे थे कि देखा छात्रें की एक रैली हाथों में पोस्टर लिए जोर-जोर से नारे लगाते निकल रही है। पोस्टर पर बड़े बड़े अक....
