‘थाने की छाया में घास भी डरते-डरते उगती है, क्योंकि भारी बूटों के नीचे घिस-घिसकर माटी धूल बन जाती है!’
भारतीय पुलिस थानों की वास्तविकता बयान करती इन पंक्तियों से रांगेय राघव के एक प्रसिद्ध उपन्यास राई और पर्वत की शुरुआत होती है। यह वर्ष रांगेय राघव का जन्मशताब्दी वर्ष है। रांगेय राघव की गणना प्रेमचंद के बाद के सर्वाधिक महत्वपूर्ण लेखकों में होती है। केवल 39 वर्ष का....
