वेदप्रकाश सिंह

वेदप्रकाश सिंह की पांच कविताएं

तुम बसंत मेरे

तुम बसंत मेरे 
तुम ही हो शरद मेरे 
मेरे प्यार के अंजाम हो तुम ही 
तुम से ही है मेरा किरदार
तुम्हारे बिना मैं लगता हूं अधूरा 
मिल जाओ तुम तो 
खिल उठता हूं मैं 
तुम बसंत मेरे 
तुम ही हो शरद मेरे
तुम्हारी यादें हंसाती हैं मुझे
तुम मुझमें हो हंसती और खिलखिलाती
तुम्हारी यादों की दुनिया में मैं होकर मग....

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