राकेश राय

चिट्ठी चोर

बात उन दिनों की है जब लोग बाग एक-दूसरे का हाल समाचार जानने के लिए चिट्ठियां लिखा करते थे। और इसी जमाने में मंगल मकानदार अपनी उम्र की आखिरी गिनती हांके जा रहा था। हालांकि मकान के नाम पर मंगल बाबा के हिस्से सिर्फ दो कोठरियां ही आती थी, जो कि दोनों एक-दूसरे के ठीक आमने-सामने थी। एक में खुद मंगल मकानदार रहते दूसरा मजदूरों को किराये पर दे देते। मजदूरों को किराये पर दी ....

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