एक नीम बयानी
आपका संपादकीय और राजेंद्र राजन के पत्र के प्रत्युत्तर में अपनी लापरवाही की आत्मस्वीकृति अच्छी और अच्छी संपादकीय का प्रमाण है। पंकज जी पर आपके विश्वास को लेकर कुछ मुझे भी नीम बयानी करनी आवश्यक लगी। पाखी के प्रकाशन के प्रारंभ से ही पाठक रहा। सड़सठ बरस की उम्र में लेखक के रूप मेरी कहानी ‘दुष्काल’ को पंकज जी ने स्वीकृत किया था सितंबर 202....
