खेमकरण ‘सोमन’

खेमकरण ‘सोमन’ की कुछ कविताएं

अवधारणा


पहले लगा
प्यार की महक कुछ नहीं

अब लग रहा है
प्यार की महक बिना तो कुछ भी नहीं
इसे निकाल दिया तो क्या बचा
इस जड़-जीवन की जड़ में

मैं आभारी हूं
तुम्हारे एक स्पर्श ने बदल दी 
मेरी दृष्टि
मेरे प्यार की अवधारणा।


ईमेल और फाइल 

तुम ईमेल हो
मैं क्....

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