वियोगिनी ठाकुर

नीलू

उस रोज पहली बार निधि कॉलेज से खींचकर जबरदस्ती अपने घर ले गई थी ना-नुकुर करने के बावजूद, यह कहकर कि, ‘चार दिन बाद होली है इसी बहाने से दादी से मिल लेना। वो तेरे बारे में कितना पूछती रहती हैं।’ 
उसकी एक्टिवा की पिछली सीट पर बैठते हुए मैंने चौंक कर पूछा था- 
‘मगर दादी मेरे बारे में कैसे जानती हैं?’
‘कैसे जानेगी पागल? मैं बताती हूं न तेरे बारे में।’&nb....

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