अब रंग के नाम पर समाज को बल्कि पूरे देश को, बदरंग करने की कोशिश की जा रही है। ये वे लोग हैं, जो गेरुआ और केसरिया का अंतर नहीं जानते। बल्कि, दोनों ही को भगवा समझते हैं। ये केसर और गेरू हो एक ही भाव से देखते हैं। उसी तरह, जिस तरह प्रेमियों और बलात्कारियों को देखते हैं। सच तो यह है कि ये प्रेमियों से नफरत करते हैं और बलात्कारियों को माला पहनाते हैं। प्रेम करने वालों से ....
