युगांतरकारी घटनाएं जनमानस में उथल-पुथल, उल्लास या उदासी तो पैदा करती हैं, पर अपने साथ कुछ ऐसे असाधारण कष्ट और अभाव भी ले आती हैं, जिन्हें रोक पाना आदमी के बस की बात नहीं। जो जानता है कि ये घटनाएं इतिहास के प्रभाव का अंग है या जो सचेत रूप से इतिहास के प्रेरक का काम करता है, उसके लिए कष्टों का अस्तित्व वैसे ही खत्म नहीं हो जाता, जैसे रोग का कारण मालूम हो जाने मात्र से ....
