जाने भी दो यारो
‘आस उस दर से टूटती ही नहीं
जा के देखा न जा के देख लिया!’
एक कवि/लेखक के लिए कोई जगह वर्जित नहीं!
एक कवि के लिए सर्वाधिक उपयुक्त स्थान उसका वीराना या अकेलापन है, लेकिन अकेला वही है जिसके लिए संसार का कोई स्थान वर्जित नहीं। उसके लिए कोई पराया नहीं।
उसे जंगलों में शहरों में कस्बों में गांवों में घूमना चाहिए। शराबघरों और वेश्यालयों मे....
