बोधिसत्व

बोधिसत्व की चार कविताएं

दारा शुकोह का पुस्तकालय और औरंगजेब के आंसू

शाहजहां जब बादशाह था
उसके बड़े बेटे दारा शुकोह ने अपने लिए एक पुस्तकालय बनवाया था
दिल्ली में कहीं।

लेकिन अब वह पुस्तकालय नहीं मिलता खोजने पर भी समूची दिल्ली में
शायद नाम बदल गया हो उसका भी!

उस पुस्तकालय को खोजता हुआ मैं वहां पहुंच जाता हूं बार-बार जहां
दारा की सिर कटी देह दफन है!
उसके ही परदादा हुमाय....

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