(एक)
अपने ख्वाबों को हमारा वो पता देते हैं
और हम भी उन्हें पलकों पे सजा देते हैं
उनकी सच्चाई पे कैसे न फिदा हो जाऊं,
साफगोई से हर इक बात बता देते हैं
लौटकर आओगे ये सोच के हम अक्सर ही
इक दिया आस का चौखट पे जला देते हैं
हमने इकरारे-मुहब्बत न किया था उस रोज,
प्यार करते हैं तुम्हें, आज बता देते हैं
उनका अंदाजे-मुहब्बत है कुछ ऐसा ‘रेनू’
....
