रेणु मिश्र

रेणु मिश्र की तीन ग़ज़लें

(एक)

अपने ख्वाबों को हमारा वो पता देते हैं
और हम भी उन्हें पलकों पे सजा देते हैं

उनकी सच्चाई पे कैसे न फिदा हो जाऊं,
साफगोई से हर इक बात बता देते हैं

लौटकर आओगे ये सोच के हम अक्सर ही
इक दिया आस का चौखट पे जला देते हैं

हमने इकरारे-मुहब्बत न किया था उस रोज,
प्यार करते हैं तुम्हें, आज बता देते हैं

उनका अंदाजे-मुहब्बत है कुछ ऐसा ‘रेनू’  
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