(एक)
बस, यही एक जरा-सा है इलाका मेरा
ये जो छोटा-सा किताबों का है कमरा मेरा
झिलमिलाते हुए सब चांदनगर तेरे हैं
टिमटिमाता हुआ बस एक सितारा मेरा
कौन जाने कोई फिर घाव हरा हो जाए
जिंदगी, खोल न तू बंद लिफाफा मेरा
ये जो खुशियां थीं, मेरे साथ रही चार कदम
दर्द ने दूर तलक साथ निभाया मेरा
मैं उसे फिर से फुलाऊंगा, ये जिद है मेरी
फट गया जो मेरे हाथों से ग....
