सुदीप सोहनी

सुदीप सोहनी की चार कविताएं

प्रार्थना की तरह

मैं प्रार्थना की तरह बुदबुदाना चाहता हूं प्रेम को
पर चाहता हूं, सुने कोई नहीं इसे मेरे अलावा
तकना चाहता हूं आसमान को बेहिसाब
और मौन रहकर देखना चाहता हूं
करवट लेते समय को

शाम का रात होना चुप्पियों का आलाप है

मैं कविता के एकांत में रोना चाहता हूं
और वहीं बहाना चाहता हूं अधूरी इच्छाओं के आंसू
और छू मंतर हो जाना चाहता हूं खुद ....

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