उन दिनों
उन दिनों में
वो नहीं बनाती खाना
नहीं करती पूजा पाठ आरती अर्चना
बाप भाई से छुपती छिपाती रहती है
उन दिनों वो जरूर जाती है खेत
रोपती है धान गेहूं या काटती हैं फसलें
उठाती है ईंट बालू
दर्द से बेहाल और दुखते कमर से अनभिज्ञ सभी
कोसों दूर से भरती मटके
उन्हीं दिनों वो लुटी और बिकी भी जाती है
तब वहां कुछ भी नहीं होता छूत
भरती है थाली मि....
