दुर्गा प्रसाद गुप्त

दुर्गा प्रसाद गुप्त की पांच कविताएं

ईश्वर का देश

 कल्पनातीत है
 ईश्वर का देश
 अपनी सुंदरता में।
 हरियाली जैसे अध्यात्म हो
 इस देश की अमरता की
 जैसे चीजें शुरू और
 निःशेष हो जाती हों उसी में!
 पेड़, पौधे, वनस्पतियां,
 पहाड़ी भूगोल
 भरी-पूरी नदियां, नारियल और
 चाय के बागान जैसे
 एक साथ मिल रचते हों
 सृष्टि का एक रंग और

 अपनी लहरों से
 ईश्वर के देश ....

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