ममता किरण जी का पहला ग़जल संग्रह ‘आंगन का शजर’ कोरोना काल के दौरान प्रकाशित हुआ है। घोर निराशा के दौर में यह शजर आश्वस्त करता है कि ‘बहारें फिर भी आती हैं, बहारें फिर भी आएंगी’।
लाचारी और निराशा के इस वातावरण में शाइरी जीवन के प्रति नए संकल्पों और विश्वास को शक्ति प्रदान करने की क्षमता रखती है। ‘आंगन का शजर’ भी उसी शक्ति का एक नवीन स्रोत है।
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