कुमार मंगलम

कुमार मंगलम की पांच कविताएं 

कीमत

जैसे गिद्ध नोचते हैं
मांस को
वैसे ही प्रशंसाएं नोचती हैं मुझे

कई बार
मुझे प्रशंसा नहीं
गिद्धों के लोलुप चेहरे दिखते हैं

और
कई बार
दिखती है मेरी अतिशय महत्वाकांक्षा
और लिजलिजापन
और उस लिजलिजेपन के
कीचड़ में मुझे सुअर-सा मजा आता है

गिद्धों का समय पूरा हुआ
गिद्धों को मर जाना है एक दिन
प्रशंसा की कीमत
समय को च....

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