विस्थापन
वे लड़के नहीं होते भागे हुए
भगाए गए जरूर कहा जा सकता है उन्हें
जो घर छोड़ने के अंतिम पलों तक
सुबकते हैं,
मां का पल्लू पकड़ कर
फ्नहीं जाना अम्मा
मत भेजो न परदेशय्
विस्थापन के इस अवश्यम्भावी दौर में
रूमानियत को दगा देते हुए
निहारते हैं
मैया को ओसरा को
रिक्शे से जाते हुए
गर्दन अंत तक टेढ़ी कर
जैसे व....
