लीलाधर जगूड़ी

लीलाधर जगूड़ी की आठ कविताएं   

  
कौन हैं आप

कौन हैं आप बाजार जैसे अस्थिर
मौसम जैसे बदलते ही जा रहे हैं
कभी पहले कभी दूसरे जैसे आप कौन हैं?

कौन हैं आप बढ़ते ही जा रहे हैं
मेरी सीमाओं को घटाते हुए महंगाई जैसे

अस्थिर, परिवर्तनशील, अतिक्रामक
बाजार जैसे, मौसम जैसे, महंगाई जैसे कौन हैं आप
ईमानदारी की तरह अचानक गायब हो जाते हैं
और बेईमानी की तरह हर जगह फिर से मि....

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