जितेंद्र श्रीवास्तव

जब कभी जाऊंगा पृथ्वी से


सोचता  हूं
जब कभी जाऊंगा पृथ्वी से
क्या ले जाऊंगा अपने साथ

सफलताएं छूट जाएंगी यहीं
देह के मैल की तरह

यदि उन्हें मान लें इत्रा
तो भी वे नहीं जाएंगी मेरे साथ

जिस क्षण मैं निकलूंगा धरा-धम से
वे बिना पदचाप समा जाएंगी किसी और की रुमाल में

इन दिनों पद और पद से जुड़ी प्रतिष्ठा पर कोई भी चर्चा
मन बहलाने का बहाना भर है
अक्सर देखा गया है
जिस दिन जा....

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