पल्लवी विनोद

मातृत्व मेरी इच्छा नहीं

 मैंने  बहुत कुरेदा लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। स्नेहा गहरे अवसाद से गुजर रही थी। उसके चेहरे से जीवन के रंग उड़ चुके थे। कोई गुस्सा या वितृष्णा के निशान तक नहीं थे बस गहरी उदासी का श्वेत श्याम चित्रा था।
उसका केस डॉक्टर शर्मा ने मुझे दिया था। उनका कहना था शायद मैं महिला होने के नाते इसे अच्छी तरह समझ पाऊंगी। पता नहीं क्यों मुझे उसके चेहरे से लगाव हो गया था। उसका केस पढ़कर ....

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