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डॉ नामवर सिंह, जिनकी कृपा से, कहा है जाता है कि लंगड़े भी साहित्य का पर्वत लांघ सकते हैं, को यह इलहाम हुआ कि इस बीच कहानी में फिर कुछ ऐसा महत्वपूर्ण और नया हुआ है, जिसके बारे में चर्चा की जा सकती है।
उनका कहना है कि ‘इसकी सफाई देने में कोई तुक नहीं है कि इस बीच मैंने क्यों नहीं लिखा । महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं फिर कहानियों पर लिखना चाहता हूं।’ असल में यह बिल्कुल भी महत्वपू....
