कहानी, उपन्यास और गद्य की अन्य विधाओं की तरह ही आत्मकथा एवं जीवनी भी अंततः किसी व्यक्ति के जीवन-संघर्ष का आख्यान ही है। दोनों में फर्क यह है कि लेखक जब स्वयं अपने जीवन के बारे में लिखता है, तो उसे आत्मकथा कहा जाता है और कोई दूसरा लेखक उसके जीवन के बारे में लिखता है तो वह जीवनी का स्वरूप ग्रहण करता है। यह अलग बात है कि औरों के बहाने कभी-कभी यह प्रत्याख्यान भी बन जाता है। सामा....
