बचपन के दिनों में घर के साहित्यिक वातावरण के कारण दिनकर जी का नाम जब तब सुनता रहता था। उन्हें काव्य-पाठ करते देखने का अवसर कई वर्षों बाद आया। उन्हीं दिनों (1953-54) मेरे दोनों अग्रज ब्रजकिशोर सिन्हा एवं नंदकिशोर नवल का साहित्यकारों से पत्र संपर्क हुआ और फिर साहित्यकारों के पत्र आने लगे। मुझे अच्छी तरह याद है, मेरे ‘बड़का भैया’ ने, संभवतः कुछ वर्ष पूर्व प्रकाशित दिनकर जी क....
