मूल लेखक: उर्दू के मशहूर कथाकार मसऊ’द मुफ़्ती
हिंदी रूपांतरः खुर्शीद आलम
“या मौला! किसी को बेमौत ही मार डाल।”
अल्लाह बख़्श ने मुँह आसमान की तरफ़ उठा कर कहा और लंबी सीधी सड़क को मायूसी से देखने लगा जिस पर कोई आदमी नज़र न आता। दूर बस स्टॉप पर दो-चार आदमी खड़े थे। खम्बे के नीचे पान-सिगरेट वाला उकड़ूं बैठा था, लेकिन उससे पिछले मोड़ से कोई साईकिल सवा....
