अपूर्व जोशी

एक साधे सब सधे

अधिकांशत:  मनुष्य का पूरा जीवन अनिश्चितता से डरने, उससे भागने और इस भागने की क्रिया के दौरान उसे काला और सपफेद, अच्छा और बुरा जैसे खांचों में डालकर परखने में गुजर जाता है। इस डर के चलते हम उन अद्भुत अनुभवों से गुजर ही नहीं पाते जो इस अनिश्चितता से जुड़े होते हैं। अपनों का, गैरों का, अपनापन प्यार, विश्वास बगैर कोई अपेक्षा लिए मित्राता इत्यादि। भविष्य की चिंता और अतीत के बेस....

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