हिंदी आत्मकथा लेखन की परंपरा भले बहुत पुरानी नहीं है लेकिन इसमें बहुत कुछ नयापन और विवादास्पद है। इधर बीते दस-बीस वर्षों में हिंदी की कुछ चुनिंदा आत्मकथाएं आई, उनमें कुछ बहुत चर्चित हुई, कुछ घोर विवादित। ओमप्रकाश वाल्मीकि, प्रभा खेतान, तुलसीराम, मन्नू भंडारी, मैत्रेयी पुष्पा, निर्मला जैन, रमणिका गुप्ता की आत्मकथाओं पर आज भी चर्चा थमी नहीं है। पत्रकारिता की दुनिया की ....
