सुधीश पचौरी
कुछ छूटी हुई बहसें और कुछ बातें
भूखी पीढ़ी, श्मशानी पीढ़ी और नक्सलबाड़ी
मोहभंग का दौर शुरू हुआ जिसने साहित्य पर असर डाला। आजादी के बाद की विकास की जो ‘ट्रेजेक्टरी’ कल्पित की गई उसमें बासठ के चीनी हमले ने एक गहरी दरार पैदा कर दी। नेहरूवादी कांग्रेस के समाजवाद से भरोसा उठ गया। एक निराश और क्रिटीकल पीढ़ी ने जन्म लिया।
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