था किसी के लिए उस शहर में कहां पानी जबकि गांवों के भी हिस्से का था वहां पानी सारे ऊंटों पे सर से पा जवाहरात लिये खोजत
प्रेम रंजन अनिमेष
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।