सभ्यता की गुहा का तलघर
लीलाधर जगूड़ी की काव्य-कृति ‘नए मनु की प्रेम-गाथा’ का स्थापत्य, जमीन में गहरे उतर गई एक मीनार जैसा है। आप उसमें मंजिल दर मंजिल नीचे उतरते जाते हैं। इससे लगता है कि यह काव्य तलघरों के एक सिलसिले की तरह अंधेरे में उतरता जाता है, मानव सभ्यता के आद्य प्रवेश द्वार तक। जहां तक उसकी नींव का संबंध है, वह स्वयं जीवन की तरह है। वह रहस....
