अर्पण कुमार

कला का इको-सिस्टम

कला का इको-सिस्टम

साहित्य-सृजन को अगर हम किसी सकर्मक क्रिया के रूप में देखें तो विधाएं उसके कर्म हैं। ‘उसने कहानी लिखी’ वाक्य में ‘कहानी’ (कर्म) के बिना ‘लिखना’ क्रिया का कर्म घटित नहीं हो सकता। कर्म का यह मर्म है और इन विधाओं की छटाओं में साहित्य की छब है। उसका साम्राज्य सुशोभित है। इन विधाओं में रचे को कला के दूसरे माध्यम उपयोग में लाते ....

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