प्रतीक्षा राम्य

प्रेम मे पागल स्त्रियां 

प्रेम मे पागल स्त्रियां 

बारिश के बाद बादलों का रंग कितना निखर जाता है न। काजल से गहरी रात का अंधियारा भी उनकी चमक को अपने रंग में रंग नहीं पाता। यूं लगता है जैसे लंबे समय से किसी गहरे दर्द की परत जमी होती है बादलों के बोझिल मन पर, जो बारिश के साथ पूरी तरह धूल जाती है। आंसुओं के बह जाने के बाद हमारे मन का धुंध भी कुछ यूं ही साफ हो जाता है। उनके बह जाने ....

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