- श्रेणियाँ
- संपादकीय
- कहानी
- कविता
- गजल
- रचनाकार
- पाखी परिचय
- पिछले अंक
- संपर्क करें
मैं कभी किसी की प्राथमिकता
नहीं रही सदैव विकल्पों-सा
चयनित हुई। हां विकल्पों में
सदैव प्रथम पाया खुद को
मेरे अलावा विकल्प की सूची
सूनी ही रही। मैंने विकल्पों में
श्रेष्ठ माना स्वयं को।
मैं कभी विशेष न रही
किसी के लिए
बस शेष ही स्वीकार्य हुई।
हां शेष में हमेशा सराहा गया
मुझको मेरे सिवा कभी कुछ न रह
पाता शेष मै....
