‘पाखी’ का ‘देश विशेषांक’ कुछ कहानियों को छोड़कर पूरा पढ़ लिया। 220 पेज के इस ‘लघु विशाल’ विशेषांक ने कंटेंट के स्तर
चिट्ठी आई है
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।