- श्रेणियाँ
- संपादकीय
- कहानी
- कविता
- गजल
- लेख
- लघुकथा/व्यंग्य
- नाटक
- रचनाकार
- पाखी परिचय
- पिछले अंक
- संपर्क करें
कमाने -खाने के स्रोतों को
बंद होता देख
उन्हें अपना गांव सूझने लगा
जहां रहने को न भाड़ा लगे,
प्यास बुझाने को न मोल का पानी
सरकार की घोषणाओं
इंतजामों को झेपता देख
वे भागने लगें बसों -स्टे....