अवनीश यादव

जनता जनार्दन 

  कमाने -खाने के स्रोतों को

  बंद होता देख

  उन्हें अपना गांव सूझने लगा

  जहां रहने को न भाड़ा लगे,

  प्यास बुझाने को न मोल का पानी

 

   सरकार की घोषणाओं 

   इंतजामों को झेपता देख

  वे भागने लगें बसों -स्टे....

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