सत्येंद्र प्रसाद श्रीवास्तव

लोकतंत्र का कुकुर कांड

एक


केवल हड़कम्प नहीं, भरपूर दहशत थी गली में। जो भी सामने आता, भुरवा उसी पर हमला बोल देता। अब तक तीन लोगों को काट चुका था। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि भुरवा ऐसा भी कर सकता है। वह तो इस गली का समर्पित और वफ़ादार कुत्ता था। सबको देखकर दिन भर दुम हिलाने वाला कुत्ता अगर अचानक इस तरह कटहा हो जाय तो सकते में आना स्वाभाविक ही है। पूरी गली सकते में थी। 
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