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‘देश विशेषांक’ का विचार उस समय आया था जब नागरिकता कानून में संशोधनों का विरोध शाहीन बाग समेत पूरे देश में हो रहा था। एक दिन बातचीत के दौरान कथाकार मित्र शैलेय ने यह विषय सुझाया था। आज जब अंक एक बरस बाद प्रकाशित हुआ है, तब भी जनता सड़क पर है, एक दूसरे कानून में किए गए संशोधनों को लेकर। लगातार अलग-अलग मुद्दों को लेकर आमजन का आंदोलनरत रहना सरकार द्वारा बनाए जा रहे, संशोधित कि....