अपूर्व जोशी

खालिस मनुष्य कहीं खो गया है

अक्टूबर अंक के संपादकीय ‘आत्ममुग्ध पलायनवादी समूह’ पर मिश्रित प्रतिक्रियायें पढ़ने को मिली। ‘निकट’ के संपादक श्री कृष्ण बिहारी के लिखे ने मुझे प्रेरित किया कि इस बात को आगे बढ़ाया जाये ताकि सनद रहे रक्तरंजित वर्तमान में हिंदी साहित्य के लोग किस तरफ खड़े थे। कृष्ण बिहारी जी ने फेसबुक पर इस संपादकीय की बाबत लिखा।’

‘आज एक पत्रिका आई। संपादकीय पढ़न....

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