'पाखी’ का प्रेम विशेषांक कल ही मिला। कंटेंट के स्तर पर यह अंक बहुत समृद्धशाली बन पड़ा है, और लंबे समय तक याद किया जाएगा। अतिथि संपादक श्री भालचंद्र जोशी ने विशद दृष्टिकोण के साथ अंक की योजना और संपादन किया है। शेष अंक पढ़कर ही अधिक कह पाऊंगा। हां, एक निवेदन अवश्य है कि इस अंक में कहानी के साथ मेरा परिचय मुख्य बातों से इतर कुछ और ही कहता है। शायद इसीलिए 'जनप्रिय लेखक सम....