अपूर्व जोशी

कुछ अपनी नाकामी पर
संस्कृति का अंधेरा/राजनीति का अंधेरा/कला का अंधेरा/कौन-सा ध्वनि-चित्र तैयार कर रहे हो तुम? और देखो तुम्हारी क्रिया में तो/ध्वनि और चित्र भी अंधेरे में छिप ग्ए।कितने खुश हो तुम नियन्ता/अपने चक्र में तुम कितने खुश हो/जिसे जहां से चाहो समाप्त कर दो/ संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण। सब तुम्हारे बस में हैं/लेकिन कभी किसी ने तुम्हें पहचान लिया हो?उस पहचान को क्या पहचा....
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