सूर्यबाला

कालजयी रचनाओं का पुर्नपाठ 

ऋचाः मेरी क्षणिकाएं

वह दिन मेरे शिशु संसार का महान पर्व था, पहली बार मम्मी को देखा था-रंगीन लट्टुओं की रोशनी में कंदील-सी झिलमिलाती हमारी हवेली के सामने इंग्लिश बैंड की कतारें आ कर रुक गई थीं, अनार छूटे थे, बंदूकें दगी थीं और फूलों से सजी कार फाटक से होती हुई सदर दरवाजे तक रेंगती हुई रुकी थीं। अंदर-बाहर चहल-पहल मच गई। मैं रिंकी, अपने लाल-पीले साटन ....

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