सुभाष राय

डरे हुए लोग

डरे हुए लोग

लोग डरे हुए हैं आजकल
उन लोगों से भी, जिनके साथ बड़े हुए हैं
जिनके साथ कई पीढि़यों से 
खुशियाँ मनायी है, दुख बांटे हैं

उन रास्तों से भी, जिन पर 
चलते आये हैं सदियों से 
बगैर किसी दुर्घटना के

उन दोस्तों से भी, जिन्होंने 
बार-बार निभाये हैं अपने वादे
बाहर निकाला है हर बार कातरता और 
निरुपायत....

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