वंचनाओं ने हमें पाला दुलारा
तार वीणा के कभी टूटे कभी टूटा सितारा
शाम की खामोशियों में गुम हुई आवाज जैसा
एक साया था अभी तक छुप गया हमराज जैसा
वंचनाओं ने हमें पाला दुलारा
जा चुके थे सब वहां से जब मिला कोई किनारा
जेहन में बाजार थे, बाजार की रस्साकशी थी
बहुत धीरे, बहुत हौले सांस लेती खुदकुशी थी
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