राजेंद्र राव

पोलो विक्ट्री में गाइड

बहुत पहले ही, जयपुर को पहली बार देखते ही कमल को समझ में आ गया था कि इस शहर को सिर्फ टूरिस्टों के लिए बनाया गया 
होगा। बाद में जब भी उसका आना हुआ यह पहले से कहीं अधिक आकर्षक और नख-शिख दुरुस्त लगा। ‘पधारो म्हारे देस’ की तर्ज पर बहरहाल, यहां जिन दिनों की दास्तां लिखी जा रही है तब जयपुर में तांगों की भरमार थी। रिक्शे थे बहुत कम और विचित्र डिजाइन के लंबोतरे टैम्पू कुछ रास्त....

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