सतीश सम्यक

सतीश सम्यक की कविताएं

पत्थर 

वो शख्स 
कितना षड्यंत्रकारी रहा होगा जिसने 
हमारे अंदर डर को जन्म दिया
और, धार्मिक भाव को जगाया
फिर, हमको बेच दिया 
पत्थर के टुकड़े को 
ऊंचे भाव में
और, हम बातें करते हैं
आदमी के बजाय 
पत्थर के टुकड़े से।

मार्केट 

धर्म ने एक विशेष जाति को काम दिया 
भगवान बनाने का 
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