जितेंद्र वेद

जितेंद्र वेद की कविता

कहां गए पता बताते दरख्त और पत्ते

फलाने चौराहे के बाद
पीपल के पेड़ के पास
खड़े मिलेंगे देखते हुए तुम्हारी आस
आखिरकार आप मेहमान हो हमारे खास
बस पीपल के पास है हमारा निवास

फलाने टेंपो स्टैंड के आगे
एक विशाल नीम के दरख्त से लगी
है हमारी छोटी सी झोपड़ी
छांव मिलती है उसे दिन भर बड़ी

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